क्या हम सोते हुए भी जागते हैं? एक अनुभव, एक विज्ञान

क्या हम सोते हुए भी जागते हैं? एक अनुभव, एक विज्ञान

एक रात मैं अपने कमरे में बेड पर सोया हुआ था। यह रात बाकी रातों जैसी ही थी। उस दिन न कोई ख्वाब था और न ही कोई बेचैनी। मैं बेसुध सो रहा था। शायद एक-दो घंटे ही सोया था कि अचानक मुझे एक झटका सा महसूस हुआ और मैं जाग गया।

मुझे वह एक क्षण अच्छी तरह याद है — जिस क्षण भर में मुझे एहसास हुआ कि मैं बेड से गिर रहा हूँ, और अगले ही पल मैंने खुद को करवट लेकर बचा लिया।

शायद मैं नींद में करवट बदल रहा था और इस बात से अनजान था कि मैं नीचे ठोस जगह पर गिरने वाला हूँ। पर जैसे कोई मेरी रूह से बोला हो, “मोड़ लो अपना रुख, नीचे गिरने से बच जाओगे।”

मुझे जागते हुए भी वह नींद का क्षण याद है, जब मैं गिर रहा था और तेज़ी से खुद को गिरने से बचाया। इसलिए झटका सा लगा और मैं गहरी नींद से जाग उठा।

हैरानी की बात ये थी कि नींद में ही मैंने खुद को दूसरी ओर मोड़ लिया। और जब मैं ऐसा कर रहा था, तभी अचानक जागते हुए महसूस किया — मैं तो गिरने ही वाला था।

उस समय जैसे कोई आंतरिक शक्ति मेरी रक्षा कर रही थी। मैं चुपचाप लेटे-लेटे सोचता रहा — यह क्या था? क्या यह मैं था या कोई और मेरे लिए जाग रहा था? क्या हम सोते हुए भी जागते हैं? या फिर ईश्वर ने हर इंसान के अंदर एक चौकीदार रखा है, जो नींद में भी उसकी हिफाजत करता है? 😃

इसका जवाब neuroscience और sleep science में छुपा है। चलिए इसे एक-एक करके समझते हैं:

🔍 क्या हम सोते वक्त भी जागते हैं?
हाँ, कुछ हद तक।
हमारी नींद पूरी तरह से बेहोशी नहीं होती। दिमाग सोते वक्त भी कुछ बुनियादी गतिविधियाँ जारी रखता है — जैसे शरीर की स्थिति पर नजर रखना, आवाज़ों का ध्यान रखना, और संतुलन का ख्याल रखना। इस स्थिति को हम "hypnagogic awareness" या आंशिक चेतना कह सकते हैं।

🧠 कैसे पता चला कि मैं गिरने वाला था?
दिमाग का एक हिस्सा, vestibular system यानी संतुलन और गति का केंद्र, सोते वक्त भी सक्रिय होता है। जब आप नींद में करवट बदलते हैं और शरीर का संतुलन अचानक बदलता है, तो यह सिस्टम "खतरे का संकेत" भेजता है — जैसे:
⚠️ "तुम गिर रहे हो!"

और आपका motor system, जो शरीर को नियंत्रित करता है, तुरंत प्रतिक्रिया करता है — भले ही नींद पूरी तरह से टूटी न हो।

🛡️ मैंने खुद को कैसे बचाया?
यह एक स्वतःस्फूर्त प्रतिक्रिया थी — जैसे आपको सपने में लगे कि आप गिर रहे हैं और आप झटके से उठ जाते हैं। यह एक रिफ्लेक्स क्रिया होती है, जैसे हम किसी गर्म चीज़ को छूकर हाथ तुरंत हटा लेते हैं — बिना सोचे समझे।

इसका मतलब यह है कि आपका दिमाग नींद में भी आपकी सुरक्षा में लगा रहता है। इसलिए मैंने खुद को तुरंत दूसरी तरफ मोड़ लिया।



🤔 क्या यह चमत्कार था?
यह एक चमत्कार जैसा जरूर लग सकता है, लेकिन यह एक प्राकृतिक सुरक्षा प्रणाली है जो हमें चोट से बचाती है।

🧬 सरल भाषा में कहें तो:
आप सोते वक़्त पूरी तरह बेसुध नहीं होते। आपका दिमाग आपकी शारीरिक स्थिति और संतुलन पर नज़र बनाए रखता है। जब कोई खतरा महसूस होता है, तो वह बिना आपको जगाए तुरंत प्रतिक्रिया करता है — जैसे गिरने से पहले आपको बचा लेना।