जहाँ कहानियाँ आत्मा से बात करती हैं...

जहाँ कहानियाँ आत्मा से बात करती हैं...

ज़िक्सी कोई किताब नहीं, ये वो कमरा है जहाँ आप खुद से मिलने आते हैं।

शोर से भरी दुनिया में जब सब थम जाए,
बस तब शुरू होती है ज़िक्सी की असली कहानी।

आज रात फिर वही वक़्त है —
चुपचाप अपने बिस्तर पर लेटिए,
पास की लैम्प की हल्की रौशनी जलाइए,
और गुम हो जाइए उन पन्नों में,
जहाँ हर शब्द किसी अधूरी बात का जवाब लगता है।

अगर मोबाइल की रौशनी थका रही है,
तो ऊपर दिए गए विकल्प में डार्क मोड ऑन कर लीजिए।
क्योंकि ऐसी रौशनी किस काम की जो आपको सुला दे,
और अगली सुबह आप महसूस करें कि कुछ अधूरा सा रह गया।

ज़िक्सी सिर्फ एक ब्लॉग नहीं है, एक एहसास भी है।
बचपन की मिट्टी से उठी कहानियाँ,
बड़े होने की उलझनों से बुना हर विचार,
और वो लम्हे… जिनमें आप कभी मुस्कराए थे, कभी चुप हो गए थे।

कभी कोई किस्सा मुस्कान बनकर होंठों तक आ जाएगा,
कभी कोई व्यंग्य किसी जानी-पहचानी बात को नया रंग देगा,
और कभी कोई शब्द बस आपके पास बैठकर साथ निभाएगा — जैसे कोई पुराना दोस्त।

यहाँ कुछ भी बनावटी नहीं —
ना भावनाएँ, ना शब्द।
यहाँ व्यंग्य भी ज़िंदगी की सच्चाई को गुदगुदाकर कहता है,
और हर किस्सा... जैसे आपका ही कोई भूला-पसंदीदा हिस्सा हो।

ज़िक्सी में हर कोई कुछ ढूंढ़ता है — और कुछ पा भी लेता है।

तो तैयार हैं?

आज रात फिर से आइए,
और इस बार, बस पढ़िए मत…
ठहरिए, सोचिए, महसूस कीजिए।

ज़िक्सी — आपकी कहानियों की वो रोशनी, जो कभी बुझती नहीं।