मिले सुर मेरा तुम्हारा: बचपन की यादें और दिल को छूने वाली धुनें!

मिले सुर मेरा तुम्हारा: बचपन की यादें और दिल को छूने वाली धुनें!

यह वह गीत है, जो मैंने पहली बार टीवी पर सुना था, जब मेरी आंखें अधखुली थीं और मम्मी की आवाज़ कानों में गूंज रही थी — "उठ जा बेटा..."

उस वक़्त कुछ समझ नहीं आता था, पर सुरों की वह नदी दिल में बहती चली जाती थी।

"मिले सुर मेरा तुम्हारा" एक ऐसा वीडियो गीत है, जिसे 15 अगस्त 1988 को भारतीय टेलीविज़न पर पहली बार प्रसारित किया गया था।

इसमें भारत की 14 भाषाओं को सुरों में पिरोया गया था, जिसमें अलग-अलग राज्यों के लोकप्रिय अभिनेता, कलाकार और खिलाड़ी शामिल थे। इस गीत का मूल भाव था — 'विविधता में एकता'।

आज जब मैं इस गीत को इंटरनेट पर ढूंढ रहा था, तो कहीं भी इसके सटीक, पूरे और स्पष्ट लिरिक्स नहीं मिले।
शायद इसलिए कि यह गीत अनेक भाषाओं का संगम है।

पर सच्चाई यह है कि भारतीय भाषाओं के किसी भी शब्द या ध्वनि को देवनागरी लिपि में ज्यों का त्यों लिखा जा सकता है, और फिर उस पाठ को लगभग हू-ब-हू उच्चारण किया जा सकता है — जो कि रोमन लिपि और बाकी कई लिपियों में तब तक संभव नहीं, जब तक कोई विशेष मानकीकरण न हो।

क्योंकि यह बचपन की यादों से जुड़ा लेख है, न कि किसी लिरिक्स वेबसाइट का पृष्ठ, इसलिए मैं यहाँ इस गीत के बोलों को अपनी बचपन की यादों के साथ मिलाकर लिख रहा हूँ, ताकि आप इस गीत के सही बोल भी जान सकें, और इसे सही उच्चारण के साथ स्वयं भी गुनगुना सकें।



वो सुबह...

शायद मैं पिछली रात ज़ी हॉरर शो देखकर सोया था।
सुबह आंखें अधखुली थीं।
मम्मी उठा रही थीं—
"उठ बेटा... उठ जा..."

टीवी से सुरों की मिठास बह रही थी—

🎶 मिले सुर मेरा तुम्हारा, तो सुर बने हमारा...
🎶 सुर की नदियॉं हर दिशा से, बहते सागर में मिले...
🎶 बादलों का रूप ले कर, बरसे हलके हलके...
🎶 मिले सुर मेरा तुम्हारा, तो सुर बने हमारा...
🎶 मिले सुर मेरा तुम्हारा...

इन्हीं सुरों के बीच... मैंने करवट बदली और रज़ाई में और भी गहराई से दुबक गया।

मम्मी घर का सारा काम निपटा चुकी थीं।
फिर आवाज़ लगाई —
"उठ बेटा... आज तो वैसे भी छुट्टी है!"

🎶 चॉन्य् तरज़ तय म्यॉन्य् तरज़, इक॒वट॒ बनि यि सॉन्य् तरज़...

मम्मी ने ग़ुस्से से कहा —
"उठ जा... बाद में सो लेना!"

🎶 तेरा सुर मिले मेरे सुर दे नाल, मिलके बणे एक नवॉं सुर ताल...

मैंने धीरे-धीरे बिस्तर छोड़ा।

 🎶 मिले सुर मेरा तुम्हारा, तो सुर बने हमारा...

वॉशरूम गया, ब्रश किया, मुंह धोया।
सुर अब भी टीवी से बह रहे थे...

🎶 मुहिंजो सुर तुहिंजे सॉं पियारा मिले जड॒हिं, गीत असॉंजो मधुर तरानो बणे तड॒हिं...

बाल जैसे-तैसे ठीक किए,
तेज़ी से तैयार हुआ—
बाहर खेलने की जल्दी थी।

 🎶 सुर का दरिया बहके सागर में मिले...

 🎶 बदलॉं दा रूप लैके बरसन हौले हौले...

नाश्ते की कोई फुर्सत नहीं थी।
पर दादा की दुकान से बिस्किट लेने गया।

🎶 इसैन्दाल नम इरुवरिन् सुरवुम नमदागुम...
🎶 दिसै वेर आनालुम आळि सेर आरुहळ मुगिलाय मळैयाय पोळिवदु पोल इसै...
🎶 नम इसैऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽ...

लौटते वक्त देखा — मम्मी चाय छान रही थीं।

🎶 नन्नऽ ध्वनिगे निन्नऽ ध्वनियऽ, सेरिदन्ते नम्म ध्वनियऽ...

 🎶 ना स्वरमु नी स्वरमु संगम्ममै, मनऽ स्वरंगा अवतरिंचे...

 🎶 एन्टे स्वरवुम नीङ्गळुटे स्वरवुम, ओत्तुचेर्न्नु नमुटे स्वरमय...

बैठकर चाय पीने लगा...

🎶 तोमार शुर मोदेर शुर, सृष्टि करूक ओइक्को शुर...

🎶 तोमार शुर मोदेर शुर, सृष्टि करूक ओइक्को शुर...

मैं चाय पी रहा था…
एक बिस्किट चाय में गिर गया।

मैंने चम्मच से निकालने की कोशिश की,
पर वो बिस्किट चाय में घुल गया…

🎶 सृष्टि होउक ओइक्को तान...

मैं एक पल को ठहर गया।
चाय का घूंट लिया।

🎶 तुमऽ आमरऽ स्वररऽ मिळनऽ, सृष्टि करि चालु एका तानऽ...

दरवाज़े पर दस्तक हुई।
बचपन के दोस्त थे।

 🎶 मळे सुर जो तारो मारो, बने आपणो सुर निराळो...

"जल्दी कर यार!" एक ने कहा —
"सब तेरा इंतज़ार कर रहे हैं!"

 🎶 माझ्या तुमच्या जुळता तारा, मधुर सुरांच्या बरसती धारा...

मैंने जवाब दिया —
"बस आ रहा हूँ।"

अब हाथ धो चुका था,
मन मुस्कुरा रहा था।

🎶 सुर की नदियॉं हर दिशा से, बह के सागर में मिलें...
🎶 बादलों का रूप ले के, बरसे हलके हलके...

बाहर निकला तो
सामने दोस्त खड़े थे —
मुस्कुराते हुए, जैसे खेल के इंतज़ार में हों।

पीछे से टीवी की आवाज़ अब भी गूंज रही थी:

 🎶 मिले सुर मेरा तुम्हारा, तो सुर बने हमारा...
🎶 मिले सुर मेरा तुम्हारा, तो सुर बने हमारा...



यही तो था वो बचपन —

जहाँ हर सुबह सुरों के साथ खिलती थी।
जहाँ मम्मी की आवाज़, दोस्तों की दस्तक
और टीवी के सुर —
एक साथ मिलकर बचपन की सुबह बना देते थे।



गीत श्रेय:

निर्माता: कोना प्रभाकर राव, आरती गुप्ता और कैलाश सुरेंद्रनाथ, लोक सेवा संचार परिषद, भारत के साथ।

गीतकार: पीयूष पांडे

संगीतकार: पंडित भीमसेन जोशी, लुईस बैंक्स, अशोक पत्की

गायकगण: पंडित भीमसेन जोशी, लता मंगेशकर, एम० बालामुरलीकृष्णा, कविता कृष्णमूर्ति, सुचित्रा मित्रा, आनंद शंकर