मनुष्य और उसका विवेक
Minisकहा जाता है कि मनुष्य विवेकशील प्राणी है। यदि वह सचमुच विवेकशील होता तो परस्पर भेदभाव न रखता।
हमारी विवेकहीनता इस बात से प्रकट होती है कि हम परस्पर झगड़ते हैं और एक-दूसरे पर विश्वास नहीं करते।
हम भूल गए हैं कि हम सब मनुष्य हैं।
हमें इस बात का भी स्मरण नहीं रह गया है कि हम सब एक ही विश्व-परिवार के सदस्य हैं।
यहाँ न तो कोई बड़ा है और न छोटा।
जाति-पांति के झगड़े असभ्यों में हुआ करते हैं।
वह शिक्षा किस काम की जो इतना भी न बतलाए कि हम सब अभिन्न हैं।